जयघोष सूरीश्वरजी के देवलोक गमन पर हुई गुणानुवाद सभा

तपागच्छ के वर्तमान सुविशाल गच्छाधिपति आचार्य श्री जयघोष सूरीश्वरजी म.सा. के मोक्ष प्राप्ति एवं देवलोक होने पर श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर तुकोगंज रोड पर गुणानुवाद एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। साध्वी जी सुधर्मगुणा श्रीजी के सानिध्य में बड़ी संख्या में समाजजनों ने उपस्थित होकर अपने गुरूवर को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके बताए हुए धर्म मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। पूज्य साध्वीजी ने आचार्य श्री जयघोष सुरीश्वरजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संसार में कोई इतिहास पढ़ता है, कोई लिखता है लेकिन आचार्यश्री ने इतिहास बनाया है। आपकी कृति कल्याणकारी और आकृति अल्हादकारी है। आपने जीवन में जिन शासन के प्रति जो सृजन किया वह जन जन के लिए कल्याणकारी बन गया। जीवन में आपसे जो भी एक बार मिल लेता था उसका संपूर्ण जीवन आनंदित हो जाता था। तीर्थंकर परमात्मा सूर्य के समान हेाते हैं, केवली परमात्मा चंद्रमा के समान लेकिन ऐसे अद्वितीय आचार्य दीपक के समान होते हैं जो कि गहरे अंधेरे को भी दूर करने की क्षमता रखते है। आचार्यश्री नेे अपने जीवन में विशाल जनसमुदाय के मन में ज्ञान एवं धर्म का दीप प्रज्ज्वलित किया। आगम शास्त्र के प्रति आपकी गहन निष्ठा के चलते 45 आगम आपको मुखपाठ थे। आप जीवन में तीन गुणों को धारण किए हुए थे, ये हैं स्पीच लेस, इट लेस और स्लीप लेस। अर्थात कम बातों में सब कुछ कह जाना, कम भोजन में जीवन यापन करना तथा कम निंद्रा लेकर आलस्य एवं प्रमाद को दूर भगाते हुए सदैव समाज सेवा के कार्य करना आपके जीवन की विशेषता थी। आपके मार्गदर्शन में आपके सुशिष्य अनुयोगाचार्य श्री वीररत्न विजयजी म.सा. ने देवास सहित संपूर्ण मालवांचल में सैकड़ों मंदिर, उपाश्रय एवं सेवाधाम का निर्माण किया। साथ ही अनेक जनकल्याणकारी कार्यो को सम्पादित किया।
आपका जीवन प्योर एवं शुद्ध था, तथा आपके वचन एवं श्योर तथा सटीक थे। वचन सिद्धि आपके जीवन का सर्वमान्य गुण था। चुस्त चारित्र जीवन का परिपालन करते हुए 11 सौ साधु साध्वियों के आप गच्छाधिपति गुरू बनें।
इस अवसर पर अशोक जैन मामा, विलास चौधरी, शैलेन्द्र चौधरी, राकेश तरवेचा, विजय जैन, अजय मूणत, संजय कटारिया, जमनालाल जैन, राजेन्द्र जैन, अभय महाजन, धीरज जैन, जयमीत जैन, शांतिलाल जैन, प्रदीप जैन, दिनेश जैन आदि ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
आगामी कार्यक्रम
17 नवम्बर रविवार को पूज्य साध्वी संस्कारगुणा श्रीजी के 23 वें दीक्षा दिवस के उपलक्ष्य में प्रात: 9 बजे अनेक धार्मिक आयोजन होंगे जिसके अंतर्गत बच्चों की प्रस्तुति, अंतर के भावों का प्रदर्शन, प्रवचन, विशिष्ट संघ पूजन, साधर्मिक भक्ति एवं सायं 6 बजे गुरूदीप भक्ति का आयोजन होगा । जिसके दौरान संपूर्ण मंदिर को दीपकों से सजाया जाएगा। पूज्यश्री 18 नवम्बर को विहार करेंगे।