भगवान बद्री विशाल को दी विदाई


बद्रीनाथ मंदिर के कपाट पूरे विधिविधान के साथ शीतकाल में 6 महीने के लिए बंद कर दिए गए. रविवार शाम 5 बजकर 13 मिनट पर इसे बंद कर दिया गया. इस अवसर पर आर्मी बैंड की धुन पर नाचते गाते सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान बद्री विशाल को विदाई दी.


कड़क ठंड को देखते हुए हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बद्रीनाथ के कपाट बंद किए जाते हैं. गर्मी शुरू होते ही अप्रैल-मई के महीने में इसे फिर से खोल दिया जाएगा. हिमालयी क्षेत्र के तीन मंदिर केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट पहले ही बंद किए जा चुके हैं. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही श्रद्धालुओं के लिए सालाना चारधाम यात्रा का समापन माना जाता है.


बद्रीनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कपाट बंद होने के बारे में कहा, शीतकाल के लिए मंदिर के कपाट बंद हुए. यह बड़ा भावुक और मार्मिक क्षण था. अब देवता गण भगवान बद्री विशाल की पूजा करेंगे. कपाट बंद होने के मौके पर हजारों श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचे थे. सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ था. शाम 5 बजकर 13 मिनट पर जैसे ही मां लक्ष्मी भगवान बद्रीनाथ के साथ विराजमान हुईं, वैसे ही भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद कर दिए गए. अब छह महीने बाद ग्रीष्मकाल में बद्रीनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे.


आर्मी की धुन पर हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में बद्रीनाथ के कपाट बंद किए गए. देश ही नहीं, विदेश से भी कई श्रद्धालु कपाट बंद होने का साक्षी बने. इस मौके पर लोगों में काफी उत्साह दिखाई दिया. कपाट होने के अवसर पर 9 हजार 1 सौ 35 श्रद्धालुओं ने बद्रीनाथ के दर्शन किए. इस साल कुल 12 लाख 42 हजार रिकॉर्ड श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचे. रविवार सुबह सबसे पहले बद्रीनाथ के मुख्य पुजारी राहुल इश्वर प्रसाद नंबोदरी ने भगवान नारायण के स्वर्ण आभूषण हटाकर फूलों से शृंगार किया. इस दौरान तमाम धर्माधिकारी और पुजारियों ने गुप्त मंत्रोच्चार किया. सुबह से शुरू हुआ दर्शन देर शाम तक जारी रहा.