14 की चुनौती में उलझी अफसरशाही


 जिले के प्रशासनिक और पुलिस अफसरों के लिए 14 नवंबर का दिन चुनौती भरा होने वाला है। इसी दिन बाल दिवस और मधुमेह दिवस तो है ही साथ ही शासन ने प्रदेश भर में सामूहिक विवाह के लिए भी इसी दिन का चयन किया है। अयोध्या पर आने वाले सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले को लेकर अफसर पहले से ही न सिर्फ सतर्कता बरत रहे हैं बल्कि शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर भी लगाने में जुटे हैं। यदि फैसला भी इसी तारीख के आसपास आता है तो अफसरों को और ज्यादा पसीना बहाना पड़ेगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए अफसर भी सामूहिक विवाह की तिथि को आगे बढ़ाने के प्रयास में जुट गए हैं।14 नवंबर को गुरुवार है। शासन की मंशा के अनुरूप इस दिन विद्यालयों में बाल दिवस को लेकर आयोजन किए जाने हैं। लेकिन बीएसए से लेकर खंड शिक्षा अधिकारियों की अयोध्या फैसले से पहले शांति व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी देकर उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में बतौर मजिस्ट्रेट तैनात किया गया है। सख्त हिदायत है कि कोई भी अधिकारी बिना बताए अपना क्षेत्र नहीं छोड़ेगा और रोजाना अपने-अपने क्षेत्र में दोनों समुदायों के 10-10 लोगों से मिलकर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लोगों को समझाएगा। इसी दिन मधुमेह दिवस भी है। स्वास्थ्य विभाग इस पर विशेष कार्यक्रम भी आयोजित करेगा।
इनके अलावा सबसे अहम कार्यक्रम मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह का है। जिले में 351 जोड़ों के विवाह का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और अभी तक विभिन्न ब्लॉकों और निकायों की ओर से 219 जोड़ों का रजिस्ट्रेशन भी किया जा चुका है। विवाह समारोह कन्नौज मुख्यालय के अलावा सौरिख, तालग्राम, तिर्वा और छिबरामऊ में होने हैं। यह कार्यक्रम ही सबसे ज्यादा अधिकारियों के लिए चुनौती भरा है। क्योंकि इस कार्यक्रम में जुटने वाली भीड़ के लिए अफसरों को खास व्यवस्थाएं करनी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी यदि इसी तारीख के आसपास आता है तो अधिकारियों पर दोहरी जिम्मेदारी होगी। एक तो जिले में शांति व्यवस्था और सौहार्द बनाए रखने की और दूसरी सामूहिक विवाह को शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न कराने की। यह काम इसलिए चुनौती भरा होगा क्योंकि मजिस्ट्रेट बनाए गए अफसरों को अपने क्षेत्र के साथ ही इस कार्यक्रम पर भी पूरा ध्यान देना होगा।अयोध्या पर आने वाले कोर्ट के फैसले को देखते हुए जिले भर में धारा 144 लागू कर दी गई है। बुधवार को ही कमिश्नर और आईजी ने साफ निर्देश दिए हैं कि फैसले वाले दिन कोई भी व्यक्ति बिना किसी काम के घर से न निकले और चौराहे आदि स्थानों पर भीड़ न लगाए। इस निर्देश के बाद एक बात तो साफ है कि सामूहिक विवाह को लेकर जो लोग समारोह स्थल पर जाएंगे या फिर लौटेंगे तो उनके साथ कई लोग भी हो सकते हैं, जिन्हें धारा 144 के कारण परेशानी भी हो सकती है।
सामूहिक विवाह की तिथि को आगे बढ़वाने के लिए वह कमिश्नर के साथ होने वाली बैठक में प्रस्ताव रखेंगे। स्थिति की गंभीरता से भी अवगत कराया जाएगा। चूंकि सामूहिक विवाह की तिथि शासनस्तर से तय हुई है तो इसमें परिवर्तन भी वहीं से होगा।
कोर्ट का फैसला आना है और इसी बीच सामूहिक विवाह का आयोजन भी कराया जाना है। सुरक्षा का प्रबंध सबसे ज्यादा चुनौती भरा होगा। वह आला अफसरों से तिथि को लेकर वार्ता कर रहे हैं। क्या निर्णय होता है जल्द सामने आएगा।